पीजेंट वेलफ़ेयर के चेयरमैन अशोक बालियान ने केंद्रीय खाद्य मन्त्री श्री पीयूस गोयल, केंद्रीय कृषि मन्त्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर व केंद्रीय पशुपालन राज्य मन्त्री डॉ संजीव बालियान को एक पत्र लिखते हुये कहा है कि केंद्र सरकार चीनी विकास निधि अधिनियम, 1982 के तहत चीनी कारखानों को किसी इकाई के पुनर्वास और आधुनिकीकरण, क्षेत्र में गन्ने के विकास के लिए, खोई आधारित सह-उत्पादन विद्युत परियोजनाओं की कार्यकुशलता में सुधार के लिए व इकाई को निर्जल अल्कोहल या इथेनॉल के उत्पादन के लिए उनकी कार्यकुशलता में सुधार करने के लिए ऋण देती है।
चीनी विकास निधि अधिनियम, 1982 के तहत चीनी कारखानों को गन्ना बकाया भुगतान के लिए ऋण देने का नियम नहीं है। उत्तरप्रदेश सहित देश की कुछ चीनी मिलें गन्ना बकाया भुगतान में पिछड़ी हुई है, जिससे वहां के गन्ना उत्पादक किसान आर्थिक संकट से गुजर रहे है।
केंद्र सरकार ने समय-समय पर गन्ना किसानों के बकाया भुगतान में तेजी लाने के लिए आवश्यकता पड़ने पर विभिन्न नीतिगत उपाय लागू किए हैं। कुछ समय पहले भी केंद्र सरकार ने स्कीम फॉर असिस्टेंस ऑफ शुगर मिल्स के तहत चीनी मिलों के लिए 1100 करोड़ की अतिरिक्त सहायता को मंजूरी दी थी।
गन्ना भुगतान में पिछड़ी हुई चीनी मिलों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की योजना (SEFASU-2014) के तहत चीनी मिलों को ब्याज छूट के साथ कार्यशील पूंजी ऋण भी प्रदान की जा सकता है। लेकिन बैंकों में इनकी फाइनेंसिंग स्थित अच्छी नहीं है, इसके लिए भी केंद्र सरकार कुछ नियम शिथिल कर सकती है, ताकि ये मिलें वित्तीय सहायता लेकर किसानों का गन्ना भुगतान कर सके। इस समस्या के समाधान के लिए हमारे संगठन का प्रतिनिधि मंडल आपसे भेंट भी करना चाहता हैं।

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