उत्तराखंड के चमोली जनपद के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रुक-रुककर बर्फबारी का सिलसिला जारी है। बदरीनाथ, हेमकुंड साहिब, रुद्रनाथ, फूलों की घाटी नीती और माणा घाटियों में सुबह आठ बजे तक बर्फबारी हुई, अभी मौसम सामान्य है, लेकिन दोपहर बाद फिर से मौसम खराब होने की संभावना बनी हुई है।

मौसम विभाग ने ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अगले 24 घंटे में एवलांच आने की चेतावनी दी है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंद किशोर जोशी ने बताया कि आपदा से जुड़े अधिकारियों को सतर्क रहने के लिए कहा गया है। वहीं केदारनाथ में मार्च में तीन फीट से अधिक नई बर्फ गिरी है। अप्रैल माह के पहले दिन भी बर्फबारी हुई है। पैदल मार्ग भी लिनचोली से धाम तक बर्फ से लकदक हो रखा है।

केदारनाथ में यूं तो मई में भी बर्फबारी होना आम बात है लेकिन एक- 15 मार्च के बीच तीन-चार दिन यहां हल्की बर्फबारी हुई। इसके बाद 16 से 31 मार्च तक लगातार बर्फ गिरी है। इस दौरान यहां लगभग तीन फीट नई बर्फ गिर चुकी है। गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर भी रामबाड़ा से केदारनाथ तक नौ किमी क्षेत्र में बर्फ जमी है जिसमें लिनचोली से धाम तक स्थिति संवेदनशील बनी है।

जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिशासी अभियंता प्रवीण कर्णवाल ने बताया कि केदारनाथ यात्रा के लिए 20 फरवरी से बर्फ सफाई का काम शुरू करते हुए 12 मार्च तक मजदूरों द्वारा केदारनाथ तक बर्फ काटकर रास्ते को पैदल आवाजाही के लिए खोल दिया था। ।

घोड़ा-खच्चरों से मजदूरों के लिए सामान भी भिजवाया गया लेकिन 16 मार्च से बिगड़े मौसम के कारण अब पैदल से लेकर धाम तक तीन फीट तक नई बर्फ जम चुकी है।

केदारनाथ में वर्ष 2022 में मई, सितंबर और अक्तूबर में ही बर्फबारी हुई जबकि नवंबर-दिसंबर में हल्की बर्फ गिरी। इस वर्ष 1 से 15 जनवरी तक ही अच्छी बर्फ गिरी जिससे यहां पांच फीट तक बर्फ जमी।

वाडिया संस्थान के पूर्व वैज्ञानिक डाॅ. डीपी डोभाल बताते हैं कि शीतकाल में कम बारिश व बर्फबारी के कारण इस वर्ष फरवरी से ही तपन बढ़ गई थी लेकिन मार्च में हुई बारिश व बर्फबारी प्रकृति व हिमालय की सेहत के लिए फायदेमंद है।

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