नई दिल्ली. भर्ती परीक्षा घोटाले के खिलाफ बेरोजगार युवाओं के प्रदर्शन के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अध्यादेश 2023 को अनुमोदन दे दिया है. इस अध्यादेश में दोषियों के लिए जुर्माने से लेकर सजा तक के सख्त प्रावधान हैं. इसके तहत, यदि कोई व्यक्ति, प्रिटिंग प्रेस, सेवा प्रदाता संस्था, प्रबंध तंत्र, कोचिंग संस्थान आदि अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिए आजीवन कारावास तक की सजा तथा दस करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

इस संबंध में जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता एवं शुचिता को सुनिश्चित करने वाले अध्यादेश में कडे प्रावधान किए गए हैं और अपराध को संज्ञेय एवं गैर जमानती बनाया गया है. यदि कोई परीक्षार्थी प्रतियोगी परीक्षा में स्वयं नकल करते हुए या अन्य परीक्षार्थी को नकल कराते हुए अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिए तीन वर्ष के कारावास व न्यूनतम पांच लाख रू के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. यदि वह परीक्षार्थी किसी अन्य प्रतियोगी परीक्षा में पुनः दोषी पाया जाता है तो उसके लिए न्यूनतम दस वर्ष के कारावास तथा न्यूनतम 10 लाख रू जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

सम्पति की होगी कुर्की

अध्यादेश के तहत यदि कोई परीक्षार्थी नकल करते हुए पाया जाता है तो आरोप पत्र दाखिल होने की तिथि से दो से पांच वर्ष के लिए डिबार करने तथा दोषसिद्ध ठहराए जाने की दशा में दस वर्ष के लिए समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किए जाने का प्रावधान किया गया है. यदि कोई परीक्षार्थी दोबारा नकल करते हुए पाया जाता है तो क्रमशः पांच से दस वर्ष के लिए तथा आजीवन समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किए जाने का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा, अनुचित साधनों के इस्तेमाल से अर्जित सम्पति की कुर्की का प्रावधान भी किया गया है.

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