नोएडा में बने सुपरटेक ट्विन टावर को गिरा गया है। ट्विन टावर को गिराने के लिए 3500 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया। इन दो टावर को गिराने के लिए जितने विस्फोटक लगे हैं उसकी मात्रा अग्वि-वी मिसाइल के वारहेड या फिर ब्रह्मोस मिसाइल के या फिर पृथ्वी मिसाइल के चार वारहेड के बराबर था। कुतुब मीनार से ऊंचे बन टॉवर का निर्माण नोएडा के सेक्टर 93 ए में किया गया था। टावर्स को गिराने के लिए करीब 20 करोड़ रुपए का खर्चा आया है।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों टॉवर की ऊंचाई 100 मीटर से थोड़ी अधिक थी। टावर को गिराने के लिए वाटरफॉल इम्प्लोजन तकनीक का इस्तेमाल किया गया था। जिसकी वजह से यह बिल्डिंग जिस जगह बनी थी उसी जगह ताश के पत्तों की तरह धाराशाही हो गई। विस्फोट के लिए लगाए गए बटन और बिल्डिंग को गिरने की पूरी प्रक्रिया करीब 9 सेकेंड में पूरी हो गई। वो अलग बात है कि पूरा इलाका धूल के गुबार में तब्दील हो गया था।

अग्नि वी मिसाइल

अग्नि वी आईसीबीएम को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड की ओर से विकसित किया गया है। मिसाइल का वजन करीब 50000 किलोग्राम है। मिसाइल 1.75 मीटर लंबी है जिसका व्यास दो मीटर है। इसमें 1500 किलोग्राम वजनी हथियार को रॉकेट बूस्टर के ऊपर रखा जाता है।

ब्रह्मोस मिसाइल

ब्रह्मोस 300 किलोग्राम (पारंपरिक और परमाणु दोनों) का वारहेड ले जाने में सक्षम है और इसकी टॉप सुपरसोनिक गति मच 2.8 से 3 (ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना) है। ब्रह्मोस मिसाइल भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओएम के बीच एक संयुक्त उद्यम है और दोनों टीमें इसमें शामिल है। इस मिसाइल का इस्तेमाल समुद्र के साथ-साथ जमीन पर तय किए गए टारगेट को ध्वस्त करने का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस मिसाइल को सशस्त्र बलों में शामिल किया गया है। इसे पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों या भूमि प्लेटफार्मों से लॉन्च किया जा सकता है।

पृथ्वी मिसाइल

पृथ्वी एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) के तहत भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित एक सामरिक सतह से सतह पर मार करने वाली कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM) है। इसे इंडिया स्ट्रैटेजिक फोर्स कमांड की ओर से तैनात किया गया है।

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