नई दिल्ली. पड़ोसी देश पाकिस्तान (Pakistan News) इन दिनों आर्थिक के साथ-साथ राजनीतिक उथल-पुथल से गुजर रहा है. पाक की विदेश नीति की बात करें तो इसकी आलोचना पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान गाहे-बगाहे करते रहते हैं. अब पाकिस्तान की विदेश नीति को लेकर एक और नया खुलासा हुआ है. एक अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार (Hina Rabbani Khar) ने देश की विदेश नीति को लेकर आगाह किया था.

न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार हिना रब्बानी ने अमेरिका के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए चीन के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी का त्याग करने के खिलाफ देश को आगाह किया था. यह खुलासा तब हुआ है जब विदेश नीति को लेकर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और विदेश राज्यमंत्री हिना रब्बानी खार के बीच हुई चर्चा का एक महत्वपूर्ण रिकॉर्ड लीक हो गया है.

हिना रब्बानी खार का जो सीक्रेट मेमो लीक हुआ है उसका शीर्षक ‘पाकिस्तान के मुश्किल विकल्प’ है. इस सीक्रेट मेमो के महत्वपूर्ण अंश से संबंधित अमेरिकी खुफिया दस्तावेज डिसकॉर्ड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर लीक हुआ है. सीक्रेट मेमो में खार ने आगाह किया कि पाकिस्तान को पश्चिम को खुश करने से बचना चाहिए. उन्होंने सीक्रेट मेमो में कहा कि अमेरिका के साथ पाकिस्तान की साझेदारी को बनाए रखने की प्रवृत्ति अंततः चीन के साथ देश की ‘वास्तविक रणनीतिक’ साझेदारी के पूर्ण लाभों का त्याग करेगी.

हालांकि यह रिपोर्ट कब की है इसका जिक्र नहीं किया गया है. लीक हुए पाकिस्तान से संबंधित 17 फरवरी के एक अन्य दस्तावेज में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की एक अधीनस्थ के साथ यूक्रेन युद्ध को लेकर संयुक्त राष्ट्र में मतदान पर चर्चा का भी जिक्र है. इस डॉक्यूमेंट में कहा गया है कि यूएन में रूस के खिलाफ वोट करने के लिए पश्चिमी देश पाकिस्तान पर दबाव बना रहे हैं. इससे रूस के साथ ट्रेड और ऊर्जा की डील को लेकर बातचीत पर नकारात्मक असर पड़ेगा.

मालूम हो कि संयुक्त राष्ट्र में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर प्रस्ताव पर 23 फरवरी को मतदान हुआ था. पाकिस्तान भी उन 32 देशों में शामिल था जिन्होंने 23 फरवरी को संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन मुद्दे पर हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया था. हिना रब्बानी खार के सीक्रेट मेमो का खुलासा ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिका पहले ही कह चुका है कि उसे पाकिस्तान के रूस से तेल आयात करने के फैसले पर आपत्ति नहीं है. लेकिन इस खुलासे के बाद पाकिस्तान के विदेश नीति पर एक बार फिर सवाल खड़ा होने लगा है.

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