प्रधानमंत्री की सरकार ने भारत में उन क्षेत्रों की संख्या को कम करने का निर्णय लिया है जहां सेना के पास विशेष शक्तियां हैं। इसका मतलब यह है कि सेना इन क्षेत्रों में कानून प्रवर्तन गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकती है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने एक बार फिर नगालैंड, असम और मणिपुर में सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम, या अफ्सपा के तहत घोषित ‘‘अशांत क्षेत्रों’’ को कम करने का फैसला किया है। शाह ने कई ट्वीट् करके कहा कि यह निर्णय पूर्वोत्तर भारत में सुरक्षा स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार को देखते हुए लिया गया है।

अशांत क्षेत्रों को कम करने का फैसला किया है

उन्होंने कहा, ‘‘पूर्वोत्तर के लिए एक ऐतिहासिक दिन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने एक बार फिर नगालैंड, असम और मणिपुर में अफ्सपा के तहत आने वाले अशांत क्षेत्रों को कम करने का फैसला किया है। यह निर्णय पूर्वोत्तर भारत में सुरक्षा स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।’’ शाह ने कहा कि भारत के इतिहास में पहली बार मोदी ने पूर्वोत्तर में सुरक्षा, शांति और विकास को प्राथमिकता दी और इसके परिणामस्वरूप यह क्षेत्र अब शांति और विकास के रास्ते पर तेजी से बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया

उन्होंने पूर्वोत्तर के लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और इस क्षेत्र को शेष भारत के दिलों से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया। शाह ने कहा, ‘‘इस महत्वपूर्ण अवसर पर पूर्वोत्तर के हमारे बहनों और भाइयों को बधाई।’’ अफ्सपा अशांत क्षेत्रों में काम करने वाले सशस्त्र बलों के कर्मियों को तलाशी लेने, गिरफ्तार करने और ‘‘लोक व्यवस्था बनाए रखने’’ के लिए आवश्यक समझे जाने पर गोली चलाने की व्यापक शक्तियां देता है। सशस्त्र बलों के अभियान के संचालन को सुविधाजनक बनाने के लिए किसी क्षेत्र या जिले को अफ्सपा के तहत अशांत क्षेत्र के तौर पर अधिसूचित किया जाता है।

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