दुनिया में मानव की प्रजाति एक दूसरे से रूप, रंग और बनावट में बहुत अलग हैं-अशोक बालियान, चेयरमैन,पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन
मानव वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी पर जीवन का प्रारंभ अमीबा जैसे एक कोशीय जीव से हुआ है। इन एक कोशीय जीवो से बहु कोशीय जीव बने। इन बहुकोशीय जीवो मे क्रमिक विकास से अन्य जीव बनते गये। इस तरह इस एक कोशीय जीव से सारी प्रजातियाँ उत्पन्न हुयी है।
प्रजाति एक प्रमाणिक प्राणिशास्त्रीय अवधारणा हैं। यह एक समूह है जो वंशानुक्रमण, वश या प्रजातीय गुण अथवा उप-समुह के द्वारा जुडा होता हैं। यह सामाजिक-सांस्क्रतिक अवधारणा नही हैं। प्रजाति के प्रत्येक वर्ग में वंशानुक्रम के द्वारा शारीरिक लक्षणों में पर्याप्त समानता होती हैं। और किसी प्रजातिय वर्ग जिनमें सभी लोगों के बीच नस्ल या जन्मजात सम्बन्ध पाए जाते हैं और उनके द्वारा पीड़ी-दर-पीड़ी उनका वहन किया जाता हैं।
आज से लगभग तीन लाख साल पहले धरती पर इंसानों की कम से कम 9 प्रजातियां मौजूद थीं। इनमे से एक होमो सेपियंस प्रजाति 3 लाख साल पहले दक्षिणी अफ्रीका में पनपी थी। आधुनिक मानव इसी प्रजाति से ताल्लुक रखता है। मनुष्य की जिज्ञासाएँ कभी शांत होने का नाम नहीं लेती हैं। और सत्य की खोज जारी रहती है। इस विषय पर नए-नए तथ्य सामने आ रहे है।
प्रजाति (Race) शब्द एक वर्ग विशेष के लोगों को प्रदर्शित करता है, जिसकी सामान्य विशेषताएँ आपस में समरूपी हों। दुनिया में 7 महाद्वीपों और 200 से अधिक देशों में बंटे इंसान की प्रजाति एक दूसरे से रूप, रंग और बनावट में बहुत अलग हैं। एक रिसर्च में कहा गया कि मानव का जन्म अफ्रीका में हुआ था। ये मानव अफ्रीका से निकलकर दुनियाभर में फैल गए थे।
जब किसी प्रदेश की प्रजातियाँ स्थानान्तरण अथवा स्थायी बसाव के लिए दूसरे क्षेत्र की ओर जाती हैं तो वे कालान्तर में वहाँ रहने वाली अन्य प्रजातियों के लोगों से मिल जाती हैं। बहुधा विभिन्न जातियों में पारस्परिक वैवाहिक सम्बन्धों के कारण भी जातियों का आपस में मिश्रण हो जाता है। अमेरिका में नीग्रो और श्वेत जातियों का मिश्रण, सूडान में गोरों व हब्शियों के मिश्रण से विकसित बण्टू प्रजाति, आदि इसके उदाहरण हैं।
डार्विन की पुस्तक ‘डिसेंट ऑफ़ मैन’, जो 1871 ने प्रकाशित हुई थी, जिसके अनुसार उन्होंने महावानरों की किसी प्रजाति को मानव जाति का पूर्वज बताया था, जबकि भिन्न गुणसूत्र के प्राणी आपस में सहवास करके प्रजनन नहीं कर सकते है। इस तरह से देखे तो यह स्पष्ट है कि बंदर मानव के पूर्वज नही थे
मानव वैज्ञानिकों के अनुसार दुनिया के विभिन्न हिस्सों में मनुष्यों के अलग-अलग रूप अवश्य विकसित हुए है। प्राचीन काल में भारत आर्य, द्रविड़, आदिवासी और मंगोल इन चार जातियों को लेकर भारतीय जनता की रचना हुई थी।
रिसले ने भारतीय प्रजातियों को निम्नलिखित 7 भागों में वर्गीकृत किया है, जिनमे इंडो आर्यन इस प्रजाति के लोग वर्तमान समय में पंजाब राजस्थान उत्तर प्रदेश जम्मू कश्मीर राज्य में पाए जाते हैं।
द्रविडियन प्रजाति के लोग भारत के दक्षिण भाग में तमिलनाडु आंध्रप्रदेश, छोटा नागपुर का पठार तथा मध्य प्रदेश के, दक्षिण भाग में निवास करते हैं।
मंगोलॉयड यह प्रजाति भारत की उत्तर पर्वतीय क्षेत्र में हिमालय प्रदेश एवं असम राज्य में पाई जाती है।
आयों द्रविडियन प्रजाति की उत्पत्ति द्रविड़ एवं आर्य प्रजातियों के मिश्रण की कारण हुई है, इस प्रजाति के लोग, अधिकतर बिहार उत्तर प्रदेश और राजस्थान की भागों में निवास करते हैं।
मंगोल द्रविडियन इस प्रजाति के लोग भारत में मंगोल तथा विभिन्न प्रजातियों के मिश्रण से उत्पत्ति हुई है इस प्रजाति के लोग पूर्वी उड़ीसा एवं पश्चिम बंगाल में पाए जाते हैं।
डीएनए डाटा बैंक के अनुसार, भारत में N की उपशाखा R और उसकी उपशाखा U अधिक है अर्थात सभी भारतीयों के पूर्वज लगभग एक ही आदि-मूल शाखा से हैं। लेकिन प्रजातियों के स्थानान्तरण से प्रजाति की नई उपशाखाओं का उदय हुआ।

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