विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार (23 फरवरी) को चीन से व्यापारिक असंतुलन की चुनौती को गंभीर करार दिया. उन्होंने कहा कि चीन (China) के साथ व्यापार असंतुलन के लिए सीधे तौर पर कंपनियां भी जिम्मेदार हैं. उन्होंने संसाधन के विभिन्न स्रोत विकसित नहीं करने के लिये भी भारतीय कंपनियों को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने स्पष्ट किया कि बड़े पैमाने पर बाहरी कर्ज राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालता है.

जयशंकर ने चीन से व्यापारिक असंतुलन की चुनौती को बहुत गंभीर और बड़ी बताते हुए कहा कि यहां सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि यह कंपनियों की भी बराबर की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों ने कलपुर्जे समेत संसाधनों के विभिन्न स्रोत और मध्यस्थ तैयार नहीं किये. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन समेत कई लोग केंद्र सरकार को सेवा क्षेत्र पर जोर देने के लिए कह चुके हैं.

एस जयशंकर ने और क्या कहा?

जयशंकर ने चेताते हुए कहा कि विनिर्माण को कम करने वाले वास्तव में भारत के रणनीतिक भविष्य को नुकसान पहुंचा रहे हैं. विदेश मंत्री ने साथ ही पाकिस्तान का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा कि कोई भी देश अपनी समस्याओं से बाहर नहीं निकल सकता और समृद्ध नहीं हो सकता अगर उसका बुनियादी उद्योग आतंकवाद है.

पाकिस्तान पर भी साधा निशाना

ये पूछे जाने पर कि क्या भारत मुसीबतों का सामना कर रहे अपने पड़ोसी देश की मदद करेगा, जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद भारत-पाकिस्तान संबंधों का मूलभूत मुद्दा है, जिससे कोई बच नहीं सकता है और हम मूलभूत समस्याओं से इनकार नहीं कर सकते हैं.

जी-20 बैठक का किया जिक्र

उन्होंने ये भी कहा कि डेटा सुरक्षा और डेटा गोपनीयता डिजिटल दुनिया की सबसे बड़ी चुनौतियां हैं और उनसे जुड़े मुद्दों पर जी-20 बैठक के दौरान समाधान की उम्मीद है. जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा कि जी-20 बैठक ऐसे समय में हो रही है जब यूक्रेन-रूस युद्ध, कोविड महामारी और विश्व मंच पर इसके प्रभावों जैसे कारकों ने कई तरह के तनाव पैदा किए हैं.

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