स्वतंत्र लेखक-अशोक बालियान, चेयरमैन, पीजेंट वेलफ़ेयर एसोशिएसन

दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के चीफ मौलाना महमूद मदनी का यह कहना कि भारत पैगम्बर अब्दुल बशर सईदाला आलम की जमीन है, और इस्लाम को ये कहना कि वह बाहर से आया है, यह सरासर गलत है। उन्होंने इस्लाम को सबसे पुराना मजहब बताया है, जबकि इस्लाम सातवीं सदी में आया है। इस्लाम के प्रवर्तक हज़रत पैगम्बर साहब का जन्म 571ईस्वी में अरब के मक्का में हुआ था। जबकि मौलाना महमूद मदनी ने यह भी कहा हैं कि इससे बहुत पहले इस्लाम भारत से पैदा हुआ था।
इस्लामिक मान्यता के अनुसार हज़रत आदम के समय से हज़रत पैगम्बर साहब तक अनेकों नबी और पैग़म्बर आये। इस्लामिक ग्रंथों में कहा गया है कि अल्हा ने आदम को ईडन के बाइबिल गार्डन या गार्डन ऑफ गॉड में भेजा था, जिसे स्थलीय स्वर्ग के रूप में भी जाना जाता है। कुरान में ईडन गार्डन का उल्लेख अल-जन्नाह के रूप में किया गया है। यदि उत्पत्ति जो हिब्रू बाइबिल की पहली पुस्तक है और ईसाई ओल्ड टेस्टामेंट पर विश्वास किया जाए, तो ईडन गार्डन का अंतिम प्रस्तावित स्थान भारत नहीं था।
सनातन धर्म के आधार पर मनु और शतरूपा (सरस्वती) प्रथम पुरुष-स्त्री हैं। पाश्चात्य संस्कृति में एडम व ईव को प्रथम प्रथम पुरुष-स्त्री माना जाता है। इस्लामिक संस्कृति में इनको आदम-हव्वा कहा जाता है। जबकि अभी तक प्राप्त जीवाश्म रिकॉर्ड बताते हैं कि होमो सेपियन्स, या आधुनिक मानव, पहली बार लगभग 150,000 साल पहले अफ्रीका से निकलकर दुनिया भर में काफी तेज़ी से फैल गए थे।
मौलाना महमूद मदनी ने यह भी कहा है कि अदालतें ने तीन तलाक, खुला, हिजाब मामलों में शरीयत और कुरआन की आयतों की मनमानी व्याख्या कर रही है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के 34वें सत्र में सामान नागरिक संहिता व पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप के खिलाफ प्रस्ताब पारित किया गये है। कुछ समय पहले जमीयत उलेमा-ए-हिन्द की ओर से वकील एजाज मकबूल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि मुस्लिम पर्सनल लॉ पवित्र कुरान से उत्पन्न है और संविधान के सिद्धांतों के आधार पर उस पर सुप्रीम कोर्ट विचार नहीं कर सकता। जबकि कोई भी धर्म देश के कानून से उपर नहीं हो सकता।
भारत में इस्लाम का आगमन तीन आक्रमनकारियों मुहम्मद बिन कासिम, महमूद गजनवी और मोहम्मद गोरी के समय में शुरू हो गया था। भारत में इस्लाम को जिन लोगों ने विकसित किया हैं, उन्होंने भारत को लूटा था और जबरन धर्म परिवर्तन कराया था। भारत की संस्कृति और जमीन पर हमला किया था। इसलिए यह देश हमलावरों का नहीं हो सकता। आजकल पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश में क्या हो रहा है, हिंदू मंदिर तोड़े जा रहे हैं, छोटी-छोटी हिंदू लड़कियों का निकाह पढ़वाया जा रहा है, क्या यही इस्लाम है? सोचने की जरूरत है। भारत में आतंकवादियों की क़ानूनी सहायता करनेवाला संगठन ‘जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने भारत के विभाजन और पाकिस्तान की निर्मिति को खुला समर्थन दिया था। इस कारण इसका विभाजन भी हुआ था।
मौलाना महमूद मदनी पर आरोप लग रहे है कि मदनी के यह कहने के साथ कि भारत स्वयं इस्लाम की संतान है और यह कि इस्लाम देश के अन्य धर्मों से पुराना है, यह कथन भारत पर इस्लाम के अधिकार और भारत को दार उल इस्लाम में बदलने के उनके “अधिकार” को पुष्ट करता है। इसलिए उन्हें ऐसे बयाँ नहीं देने चाहिए। बल्कि उन्हें याद रखना चाहिए कि भारत के सभी मुस्लिमों के पूर्वज सनातन धर्म को मानने वाले थे, जिनमे अधिकतर को जबरन धर्म परिवर्तन के लिए विवस किया गया था।

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