रुद्रप्रयाग।मंत्रोच्चारों और आर्मी बैंड की मधुर धुनों के साथ विश्व प्रसिद्ध भगवान केदारनाथ धाम मंदिर के कपाट सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर खोले गए. केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी जगद्गुरु रावल भीम शंकर लिंग शिवाचार्य ने कपाट खोले. इस मौके पर मंदिर को फूलों से सजाया गया. इस दौरान हजारों श्रद्धालु भी मौजूद रहे

 

केदारनाथ धाम के कपाट आज मंगलवार को सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। कपाटोद्घाटन के शुभ अवसर पर केदारनाथ मंदिर को 35 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। करीब आठ हजार श्रद्धालु कपाटोद्घाटन की पावन बेला के साक्षी बने।

सुबह पांच बजे से ही कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी

धार्मिक परंपराओं के निर्वहन के साथ-साथ बाबा केदार की पंचमुखी भोग मूर्ति चल उत्सव विग्रह डोली में विराजमान होकर रावल निवास से मंदिर परिसर में पहुंची।

यहां रावल ने भक्तों को आशीर्वाद दिया। इसके बाद रावल एवं श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के पदाधिकारियों की मौजूदगी में प्रशासन की ओर से मंदिर के कपाट खोले गए। कपाट खुलते ही धाम महादेव के जयकारों से गूंज उठा।

इसके बाद मुख्य पुजारी शिवलिंग ने गर्भ गृह में भगवान केदारनाथ की विशेष पूजा-अर्चना की। इसके बाद ग्रीष्मकाल के लिए केदारनाथ के दर्शन शुरू हो गए।

11वे ज्योतिर्लिंग के रूप में मान्यता

समुद्र तल से 3 हजार 581 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर को 11वे ज्योतिर्लिंग के रूप में भी पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहीं पर भगवान शिव ने पांडवों को बैल के रूप में दर्शन दिए थे। 8वी और 9वीं सदी में जगतगुरु आदि शंकराचार्य ने इस भव्य मंदिर का निर्माण कराया था। .तत्कालीन गढ़वाल नरेश ने मंदिर के निर्माण के लिए सारा प्रबंध किया।

“रुक- रुक कर हो रही बारिश और बर्फबारी”

केदारनाथ धाम में रुक- रुक कर बर्फबारी व बारिश को देखते हुए उन्होंने श्रद्धालुओं से यात्रा शुरू करने से पूर्व प्रदेश सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए कहा गया है। श्रद्धालुओं से भी कहा गया है कि केदारनाथ आने से पहले मौसम की जानकारी ले लें। प्रतिकूल मौसम के मद्देनजर केदारनाथ धाम में निवास की व्यवस्था पहले से सुनिश्चित करने की अपील भी की गई है। इससे पहले मंदिर के कपाट खुलने की पूर्वसंध्या पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी सोमवार शाम को गुप्तकाशी पहुंचे और यात्रा व्यवस्थाओं की जानकारी ली।

 

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