पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक की गिरफ्तारी की झूठी खबर को जानबूझकर फैलाया गया था- अशोक बालियान,चेयरमैन,पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन


पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक की दिल्ली में गिरफ्तारी की झूठी खबर को जानबूझकर फैलाया गया था। दिल्ली पुलिस ने अपना वक्तव्य जारी करते हुए कहा है कि उसने न तो पूर्व राज्यपाल मलिक को गिरफ्तार किया था, न ही हिरासत में लिया था, वह खुद थाने आये थे।
कुछ समय पहले केंद्रीय जांच एजेंसी ने जम्मू-कश्मीर में दो प्रोजेक्ट में गड़बड़ियों को लेकर कुछ समय पहले एक मामला दर्ज किया था। और इसी मामले में सीबीआई ने उन्हें तलब किया है। इस मामले को लेकर पूर्व राज्यपाल मलिक ने दावा किया था कि उन्हें दो फाइल साइन करने के लिए 300 करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी। इसमें उन्होंने राम माधव का नाम लिया था। इस आरोप के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व महासचिव राम माधव ने जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल मलिक को मानहानि का नोटिस भी भेजा हुआ है। इसी मामले में पूर्व राज्यपाल मलिक ने खाप चौधरियों व किसान नेताओं को अपने दिल्ली निवास पर बुलाया था।
पिछले कुछ समय से पूर्व राज्यपाल मलिक के अनेकों बयान बहुत आपत्तिजनक है और असत्य भी है। और एक बयान पर तो उन्होंने खुद ही कहा है कि उन्होंने झूठ बोला था। जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने वामपंथी प्रोपेगैंडा पोर्टल ‘द वायर’ के साथ हुए एक इंटरव्यू में कहा है कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को लेकर अमित शाह से संबंधित बयान के बारे में पूरी तरह झूठ बोला था।
प्रेपगेंडा पोर्टल ‘द वायर’ के लिए करण थापर को दिए इंटरव्यू में पूर्व राज्यपाल मलिक ने कहा है कि फरवरी 2019 में पुलवमा में हुआ आतंकी हमला गृहमंत्रालय की लापरवाही का नतीजा था। पूर्व राज्यपाल मलिक ने दावा किया है कि सीआरपीएफ ने अपने जवानों के लिए एयरक्राफ्ट की माँग की थी, लेकिन गृहमंत्रालय ने इसकी मंजूरी नहीं दी थी।
अपने इंटरव्यू में पूर्व राज्यपाल मलिक ने यह भी दावा किया था कि पीएम मोदी को भ्रष्टाचार से भी नफरत नहीं है और उन्हें जम्मू कश्मीर के बारे में कोई जानकारी नहीं है। पूर्व राज्यपाल मलिक ने 12 मार्च 2022 को एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के दौरान किसानों को हिंसा के लिए भड़काया था। उन्होंने कहा था कि अगर किसानों की माँगें नहीं मानी गईं तो वो उन्हें मनवाने के लिए हिंसा का रास्ता अपना सकते हैं।
12 जून, 2022 को जयपुर में राष्ट्रीय जाट संसद को संबोधित करते हुए सत्यपाल मलिक ने किसानों को भड़काते हुए कहा था कि अडानी ने किसानों की फसल सस्ते दाम पर खरीदने और महँगे दामों पर बेचने के लिए पानीपत में बड़ा गोदाम बनाया है। अडानी का ऐसा गोदाम उखाड़ फेंको।
नवंबर 2021 में पूर्व राज्यपाल मलिक का एक वीडियो वायरल हुआ था। राज्यपाल पद पर रहते हुए वे वीडियों में वे कह रहे थे कि यदि कृषि कानून वापस नहीं लिए गए होते, तो उनका हाल पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी जैसा होता। इतना ही नहीं वीडियो में पूर्व राज्यपाल मलिक का बयान सुनकर ऐसा लग रहा था कि वे इंदिरा गाँधी और जनरल वैद्य की हत्या करने वालों का गुणगान कर रहे हैं।
इन दिनों पूर्व राज्यपाल मलिक खाप की आड़ में अपना एजेंडा चलाने का प्रयास कर रहे है और उनसे समर्थन मांग रहे है। इनके समर्थन में किसान आन्दोलन के समय कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसान नेता व खाप चौधरी, जिनमे नौगामा खाप के प्रधान दलबीर सिंह बीबीपुर, खटखड़ खाप के उपप्रधान लीला छापड़ा, कंडेला खाप के प्रधान ओमप्रकाश कंडेला व प्रवक्ता जगत सिंह रेढू, किसान नेता गुरमीत महमा, फोगाट खाप के प्रधान बलवंत नंबरदार व सांगवान खाप के सचिव नरसिंह डीपी, राजस्थान में हवेली खाप से प्रभुराम गोदारा, हरियाणा भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी आदि शामिल थे।
किसान आन्दोलन के समय से ही कुछ खापों की नकारात्मक छवि बनती जा रही है, क्योकि वे सही या गलत नहीं देख रही है। कुछ राजनैतिक दल उनका प्रयोग अपने मोदी विरोधी अभियान में करते चले आ रहे है। हमारी राय में खापों को किसी भी विषय पर अपनी राय रखने से पहले उस विषय की तर्कसंगत विवेचना करनी चाहिए।
पूर्व राज्यपाल मलिक का समर्थन करने से पहले खाप चौधरियों को उनके बयानों की तर्कसंगत विवेचना करनी चाहिए। खाप चौधरियों को पूर्व राज्यपाल मलिक के आपत्तिजंक बयानों के खिलाफ आवाज भी उठानी चाहिए। उनके ऐसा करने समाज और राजनीति में अच्छा बदलाव लाया जा सकता है। पूर्व राज्यपाल मलिक के बयानों से जाट समुदाय को बहुत नुकसान हो रहा है और वह अपने स्वार्थ में जाट समुदाय को गलत राह पर लेजाने का प्रयास कर रहे है। इसलिए हम जाट समुदाय से अपील करते है कि उन्हें इस तरह के लोगों व संगठनों से सावधान चाहिए।

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