हर पल बदलता है
हर लम्हा बदलता है
सेकंड और मिनट की सुई
भी चलती जाती है
पर फिर भी जब गलती होती
उस सुई के सामने
खड़ी हो जाती नारी है
ना जाने क्यों केवल नारी है
क्यों सिर्फ जन्म लिया
दूसरे की गलती छुपाने को
या अपने आंसू बहाने को
दिन बदले,महीने बदले
न बदला इलज़ामों का सिलसिला
नारी ना बदली ,ना समाज बदला
ना बदला उंगली उठाने का सिलसिला
ये सिलसिला आज भी चलता जाता है
आज भी नारी लड़ती
अपने लिए अपने हक लिए
आज वही नारे लगते है
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
आज़ाद हुए वर्षो बीते
उंगली उठाने का सिलसिला
आज भी जारी है
✍️पूजा भारद्वाज
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