उत्तराखंड में चमोली जिले के आपदाग्रस्त जोशीमठ में फिर से नई मुसीबत सामने आई है। यहां भूधंसाव और बढ़ रहा है। इसके साथ ही नृसिंह मंदिर मार्ग पर नया पानी का स्रोत फूट पड़ा है। जल धारा के फूटने से यहां लोगों में दहशत है। सुबह से ही यहां लगातार पानी बह रहा है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की रिपोर्ट को केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का इंतजार है। मंत्रालय से अनुमोदन के पश्चात एनडीएमए इसे राज्य सरकार को भेजेगा।

रिपोर्ट के आधार पर जोशीमठ शहर का सुरक्षित व असुरक्षित श्रेणी में वर्गीकरण, प्रभावित क्षेत्र का उपचार और प्रभावितों के पुनर्वास जैसे विषयों पर सरकार तेजी से कदम बढ़ाएगी। इसे देखते हुए राज्य सरकार को भी इसकी बेसब्री से प्रतीक्षा है। जोशीमठ में भूधंसाव और भवनों में दरारें पडऩे के कारणों की जांच में जुटे आठ विज्ञानिक संस्थान अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट पिछले माह के आखिर में एनडीएमए को सौंप चुके हैं।

सूत्रों के अनुसार एनडीएमए की रिपोर्ट में जोशीमठ में आपदा के दृष्टिगत तात्कालिक, मध्यावधि और दीर्घकालीन उपायों को लेकर सुझाव दिए गए हैं। इसमें यह भी उल्लेख है कि जोशीमठ के कौन-कौन से क्षेत्र में कहां-कहां क्या कार्य किए जाने हैं। प्रभावितों का पुनर्वास तात्कालिक, पुनर्वास स्थलों का विकास, मामूली दरार वाले भवनों की रेट्रोफिटिंग जैसे कार्य मध्यावधि योजना में शामिल किए गए हैं।

इसके अलावा विज्ञानियों की रिपोर्ट के आधार पर प्रभावित क्षेत्र में उपचारात्मक समेत अन्य कार्यों को दीर्घकालीन योजना में रखा गया है। इसके अलावा बदरीनाथ यात्रा प्रारंभ होने से पहले व्यवस्था दुरुस्त करने और वहां हाईवे की निगरानी को तंत्र विकसित करने का सुझाव भी दिया गया है।

इस रूप में आई आपदा

गौरतलब है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में धंसते जोशीमठ में जमीन धंसने के कारण 600 से ज्यादा घरों में दरारें आ गई थी। हाईवे दरक गए। भवन और मकानों में दरारें आ गई। कई मंदिरों पर भी खतरा मंडरा रहा है। कई स्थानों पर पानी के स्रोत फूट गए। ऐसे में प्रभावित परिवारों को उनके घर खाली करने का आदेश दे दिया गया था।

साथ ही चारधाम ऑल वेदर रोड (हेलंग-मारवाड़ी बाईपास) और एनटीपीसी की पनबिजली परियोजना जैसी मेगा परियोजनाओं से संबंधित सभी निर्माण गतिविधियों पर स्थानीय निवासियों की मांग पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई थी। राज्य सरकार ने कहा था कि जिन लोगों के घर प्रभावित हुए हैं और उन्हें खाली करना है। उन्हें मुख्यमंत्री राहत कोष से अगले छह महीने के लिए मकान किराए के रूप में 5000 रुपये प्रति माह मिलेंगे। साथ ही प्रभावितों को फौरी सहायता के रूप में डेढ़ लाख रुपये दिए गए।

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