सूर्य ग्रहण समय सारणी
25/10/2022 दिन मंगलवार वाराणसी
स्पर्श साम 04:42
मध्य साम 05:14
ग्रस्तास्त मोक्ष साम 05:22
कुल अवधि 40मिनट

ग्रहण का सूतक : –
सूर्यग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले लग जाता है। इस सूर्यग्रहण का सूतक प्रातः काल 04:42 से प्रारम्भ हो जायेगा।

ग्रहण काल मे क्या करना चाहिये –
ग्रहण के प्रारम्भ में स्नान-जप,मध्यकाल में हवन, मोक्ष से पूर्व दान तथा मोक्ष होने पर स्नान करना चाहिए-

स्पर्शे स्नानं जपं कुर्यान्मध्ये होमं सुरार्चनम्।

मुच्यमाने सदा दानं विमुक्तौ स्नानमाचरेत्।। बृ. दै.३३.१७.।
ग्रहण में जप,दान,होम वर्जित नहीं होता। ग्रहण में पक्के हुए अन्न का त्याग करना चाहिए। वस्त्र के साथ स्नान करना चाहिए। पानी, दूध,घी, दही, मट्ठा, तेल, काञ्जी, मे तिल व कुश छोड़ने से ग्रहण का दोष नहीं लगता-

अन्नं पक्वमिह त्याज्यं सवसनं ग्रहे।

वारितक्रारनालादि तिलैर्दर्भैर्न दुष्यते।।
बृ.दै.३३.२०.।
सूर्य और चंद्रमा के ग्रहण में सभी प्रकार का दान भूमि दान के बराबर होता है। सभी विप्र ब्रम्हा के समान होते हैं। सभी जल गंगाजल के तुल्य होता है-
सर्वं भूमिसमं दानं सर्वे ब्रम्हसमा द्विजा:। सर्वं गङ्गासमं तोयं ग्रहणे चन्द्रसूर्ययो:।। बृ. दै.३३.२३.।
मारकंडेय ऋषि के अनुसार कूप के जल से झरना का जल झरने के जल से सरोवर का जल श्रेष्ठ होता है सरोवर से नदी का जल तथा नदी से जमुना आदि का जल एवं यमुना आदि नदियों से गंगा का जल श्रेष्ठ होता है। ग्रहण के समय गंगा सागर में स्नान करना सर्वश्रेष्ठ होता है। कनखल (हरिद्वार) प्रयागराज पुष्कर काशी कुरुक्षेत्र में ग्रहण स्नान का फल सर्वाधिक पुण्य फल प्राप्त होता है ग्रहण में गर्म जल से स्नान नहीं करना चाहिए।रोगी को भी स्नान करना चाहिए चाहे गर्म जल ही क्यों ना हो। ग्रहण के पश्चात् स्नान न करने से रोग दु:ख और अकालभय की प्राप्ति होती है।ग्रहण में गोदान से सूर्य लोक की, वृषदान से शिव लोक की प्राप्ति, स्वर्णदान से ऐश्वर्य की प्राप्ति,
स्वर्णसर्प दान से राज्य प्राप्ति, अश्वदान से वैकुण्ठ प्राप्ति,सर्पमुक्ति से ब्रह्मलोक प्राप्ति, भूमिदान से राजपद प्राप्ति तथा अन्नदान से सुख की प्राप्ति होती है।बृ॰दै॰३३॰६५॰।
ग्रहण मे जिस महिला के गर्भ मे बच्चा हो उसको अपने पेट पर गोबर का पतला लेप कर लेना चाहिए
ग्रहण में क्या नहीं करना चाहिए-
पत्रछेदन करना ,तिनका तोड़ना,काष्ठ तोड़ना, पुष्प तोड़ना, बाल कटवाना, वस्त्र की सफाई करना, दांत की सफाई करना, भोजन करना, मैथुन करना, घोड़ा की सवारी करना, हाथी की सवारी करना, गाय-भैंस का दोहन करना, यात्रा करना, शयन करना और मल मूत्र का त्याग करना वर्जित है।

इस सूर्य ग्रहण में विशेष रूप से ध्यान देने वाला बात यह है कि ग्रस्तास्त मोक्ष प्राप्त हो रहा है इसलिए यथासंभव प्रयास करना चाहिए कि सूर्यास्त के बाद भी उस दिन भोजन का त्याग कर सुबह नित्य स्नान संध्या सूर्य दर्शन के पश्चात ही भोजन करना चाहिए यह नियम बाल वृद्ध रोगी के लिए लागू नहीं होता है(आवश्यकतानुसार उनको फलाहार या भोजन कराया जा सकता है) परंतु ग्रहण काल में बाल,वृद्ध,रोगी को भी इस नियम का पालन करना चाहिए।।

 

Dharm  Shastri- Shrimati Suresh Tyagi

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